Sunday, October 30, 2011

Shri Radhe Maa ji ki Leelaye - Kaajal Anand






जय माता दी ,

                     सर्वप्रथम ममतामयी श्री राधे माँ जी के पावन चर्नार्विन्दों में मेरा और मेरे समस्त परिवार का कोटि कोटि वंदन, साथियों हमने शास्त्रों में पढ़ा है की किस तरह सगर वंश को श्राप्मुक्त करने हेतु राजा भागीरथ जी ने घोर तपस्या की और माँ गंगा जी को धरती पर अवतरित होने पर विवश कर दिया ,वैसे ही मीरा बाई,नरसिंह मेहता ,भक्त प्रहलाद आदि कई उदाहरण हैं जहाँ सच्चे भाव से की गयी भक्ति प्रभु ने साक्षात रूप में अवतरित हो स्वीकार की है ! श्रद्धा , धैर्य  और विश्वास भक्ति के प्रमुख गहने माने गए हैं !


मेरे पास आज जो कुछ भी है वो सिर्फ देवी माँ जी की असीम अपार कृपा से ही है ,करुणामयी श्री राधे माँ जी की शरण में आने के बाद जैसे हमारी ज़िन्दगी की सूखी बंजर ज़मीन को कृपा के पावन अमृत की वर्षा मिली और हमारे दुःख संताप धीरे धीरे ख़त्म होने लगे ,हमे ज्ञान हो गया कि सदगुरु की शरण कितनी पवित्र , निर्मल और ममता से परिपूर्ण होती है ,और अंतर्यामी सदगुरु यदि कृपालु श्री राधे माँ जी हों तो समझिये सोने पे सुहागा!
मेरा नाम काजल आनंद है ,मैं मुंबई में अपने परिवार के साथ रहती हूँ , हमारा कॉस्मेटिक्स का बिजनेस है.कुछ वक़्त पहले ऐसा हुआ कि बिजनेस ठीक से न चल पाने कि वजह से हमारे ऊपर बहुत भारी क़र्ज़ हो गया ,हमारे सुर्युदय और सूर्यास्त मानो चिंताओं से घिर गए ,हमारी गाडी क़ी किश्त ना जा पाने कि वजह से बैंक वालों ने गाडी जाप्त करने का नोटिस दे दिया था ,ऐसी गहरी चिंताजनक अवस्था में हमने अपना बोरीवली स्थित घर तक बेचने का निर्णय कर लिया,फिर भी मन में उस घर के प्रति प्रेम जैसे हमे रोक सा रहा था,परन्तु इतना विश्वास ज़रूर रहा कि मेरी राधे माँ जी हमे इस कष्ट ,विपदा और  दुःख से ज़रूर बाहर निकालेंगी अतः हमने उनकी भक्ति और ज्ञान का मार्ग कभी नहीं छोड़ा ,यही बात मन में रही कि परीक्षा कि घडी है बीत जाएगी,एक शुभ दिन जैसे हमारी भक्ति परवान चढ़ी हो,मुझे सुबह सुबह ममतामयी श्री राधे माँ जी कि परम सेविका आदरणीय छोटी माँ जी का फोन आया कि देवी माँ जी ने ध्यान में आपकी तकलीफ देख ली है और आपकी श्रद्धा भक्ति से ममतामयी श्री राधे माँ जी ने अति प्रसन्न होकर ये आदेश दिया है के निश्चिन्त हो कर आप अपना घर बेचने कि तय्यारी करें ,जैसे ही छोटी माँ जी ने ये वचन कहे मैं स्तब्ध सी रह गयी कि आखिर देवी माँ जी ने हमारे मन कि बात जान कैसे ली ,अपनी नादानी कि क्षमा मांगते हुए  माँ का कोटि कोटि धन्यवाद किया,नेत्रहीन क्या मांगे दो आँखें, बस क्या था देवी माँ जी कि आज्ञानुसार हम अपना घर बेचने में जुट गए ,,कुछ ही दिनों में हमारे घर को खरीदने के लिए हमे ऐसा ऑफर आया जो कि बहुत मुश्किल था और हम अपना घर बेच कर दूसरी जगह में शिफ्ट हो गए, जो एक वक़्त में हमपर भारी कर्जा था अब बस गिनती का ही रह गया है ,ममतामयी श्री राधे माँ जी कि असीम कृपा ने अब हमारे सुर्युदय और सूर्यास्त दोनों ही इतने उज्वल और सुखमयी कर दिए हैं कि से अब हम कृपालु श्री राधे माँ जी का धन्यवाद कर सुकून की नींद सो सकते हैं!

जितने भी लोग इन चमत्कारों को पढ़ के श्री राधे माँ जी के अनुपम ज्ञान का रसपान कर रहे हैं ,मैं अपने अनुभव से आप सब को विनम्रता पूर्वक ये बता दूं के यदि आप भी ममतामयी श्री राधे माँ जी की इस अप्रतिम अद्भुत और अद्वितीय कृपा के पात्र बनना चाहते हैं तो उसका एक मात्र उपाए हैं देवी माँ जी की सच्ची निस्वार्थ भक्ति,यदि आपकी भक्ति में शक्ति है तभी आप करुणामयी मेरी देवी माँ जी कृपा के सच्चे हक़दार बन सकते हैं,क्यूंकि शास्त्र भी कहते हैं के प्रभु भक्तों के आधीन ही रहते हैं!
यदि आप भी अपने साथ हुए चमत्कार दुसरे भक्तों को बताने के इच्छुक हों तो कृपया अपनी कथाएं या उनका वर्णन  sanjeev@globaladvertisers.in पर भेज दीजिये हम पूर्ण प्रयत्न करेंगे की जल्द से जल्द आपके अनुभव प्रकाशित हों ,और अगर आप करुणामयी श्री राधे माँ जी के बारे में और कुछ जानकारी या ज्ञान लेना चाहें तो आप टल्ली बाबा जी से +919820969020 पर संपर्क कर सकते हैं |               
      
करुणामयी श्री राधे माँ जी हमारे परिवार तथा अपने सभी भक्तो पर ऐसे ही कृपा क़ी वर्षा करती रहें ,ऐसी शुभकामना करती हूँ !

जय माता दी

Sunday, October 23, 2011

Happy Danteras








May this Dhanteras Light up new dreams, fresh hopes, undiscovered avenues, and different perspectives, everything bright & beautiful and fill your days with pleasant surprises and moments. Happy Dhanteras to all the Devotees of ‘Devi Maaji’

Wednesday, October 12, 2011

'Shri Radhe Maa' - Jagran details 4th October, 2011


 

'Shri Radhe Maa'


हिन्दू पंचांग के आश्विन माह की नवरात्रि शारदीय नवरात्रि कहलाती है,शक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। आश्विन मास में मौसम में अधिक ठंड रहती है अधिक गर्मी। प्रकृति का यह रूप सभी के मन को उत्साहित कर देता है जिससे नवरात्रि का समय शक्ति साधकों के लिए अनुकूल हो जाता है। तब नियमपूर्वक साधना अनुष्ठान करते हैं, व्रत-उपवास, हवन और नियम-संयम से उनकी शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक शक्ति जागती है, जो उनको ऊर्जावान बनाती है।
 
ऐसे ही लुधिअना (पंजाब) में इस शारदेय नवरात्र की अष्टमी में माता के भव्य,दिव्य और विराट जागरण का आयोजन जैसे सोने पे सुहागा हो गया और उसपर अति सुन्दर प्रसंग यह की ममतामयी,करुणामयी,परम वन्दनीय,प्रातः स्मरणीय 'श्री राधे माँ' जी के दिव्य ,अनुपम,अद्भुत और दुर्लभ दर्शन का लाभ उनके भक्तो को प्राप्त हुआ| 



४ ऑक्टोबर  २०११ को लुधिअना स्थित Impressions  फार्म हाउस मानो जैसे दिव्यलोक में परिवर्तित हो गया था,इस फार्म हाउस के विशाल प्रांगन में सुन्दर सुस्सज्जित मीनारों से सजावट की हुई थी,सुनियोजित ढंग से भक्तो के स्वागत और उनके बैठने की व्यवस्था की गयी,सारे वातावरण में एक दिव्य आभा,एक दिव्य गंध का आभास किया जा सकता था, और एक विशाल मंच पर शिव जी,हनुमान जी,गणेश जी,भैरव बाबा सहित मध्य में अष्टभुजाधारी  माँ भगवती की सुन्दर सौम्य मूर्ति विराजमान थी, ठीक ८ बजे सिंघल परिवार के प्रमुख सदस्यों ने माँ की पावन ज्योत जो की विशेषतः हिमांचल में स्थित माँ चिंतपूर्णी जी के पावन मंदिर लायी गयी थी को प्रज्वलित कर माँ के पवित्र जागरण का शुभारम्भ किया, जिसके पश्चात् जालंधर से पधारे श्री विजय रजा जी ने अपनी मण्डली के साथ पुरे विधि विधान सहित माँ के आवाहन संग गणेश वंदना की,तत्पश्चात मुंबई से पधारे माँ के सेवादार श्री संजीव कोहली और पंजाब के श्री मिक्की सिंह जी ने आई हुई सांगत और सारे वातावरण को भक्ति के रस से सरभोर कर दिया|  

इसके बाद विश्व विख्यात,शाने पंजाब,भजन सम्राट श्री सरदूल सिकंदर जी ने माँ की स्तुति संग माँ का गुणगान आरम्भ किया,अपनी सुप्रसिद्ध माता की भेंटो से सरदूल जी ने माँ के श्रींगार,माँ के उपकार और माँ की असीम अपार कृपा का वर्णन किया,कुछ ही देर में सरदूल जी की मधुर वाणी ने ममतामयी,करुणामयी श्री राधे माँ जी को अपने दर्शनों के निर्धारित समय से पहले ही उस दिव्य प्रांगन में खींच लिया और ढोल नगाड़े,तुतारी,जय जैकारो के मध्य देवी माँ जी कमल स्वरूपी आसन पर भक्तो को कृतार्थ करने पधारीं ,उस जग से न्यारे,सुन्दर,मनमोहक आसन की झांकी देखते ही बनती थी,लगता था मानो कमलासन पर विराजमान होकर कोई महादेवी साक्षात देवलोक से पृथ्वीलोक पर पधारीं हैं,धीरे धीरे माँ की सवारी उस विशाल मंच की ओर बढ़ी और दरबार पहुच कर सबसे पहले 'श्री राधे माँ' जी ने माँ की ज्योत के पावन दर्शन कर सभी देवताओं की मूर्तियों को नमन कर अपना आसन ग्रहण किया और अपनी अमृत सामान कृपा रुपी ,करुणामयी दृष्टि से आई सांगत को निहार कर उनका कल्याण किया ,देश विदेश से पधारे माँ के अनन्य भक्त माँ की इस दिव्य दुर्लब और अप्रतिम झांकी के दर्शन कर अक्षय्पुन्य के भागी बने! करीब डेढ़ घंटे तक ममतामयी श्री राधेमा जी ने अपनी कृपामृत की बौछार से खुल्ले दर्शन दे अपने भक्तो को निहाल किया और फिर अपनी गुफा के लिया प्रस्थान किया, इसके पश्चात श्री सरदूल सिकंदर जी ने भेंटो की सेवा जारी रखी और करीब प्रातः २|३० बजे श्री विजय रजा जी एवम उनकी मण्डली ने तारा रानी की कथा का पाठ किया और आरती कर  प्रसाद बाँट कर इस अश्विन मॉस की शारदेय नवरात्र की अष्टमी में माता के भव्य,दिव्य और विराट जागरण के पवित्र आयोजन को विराम दिया |

इस दिव्य जागरण को विश्व भर में माँ भक्तों ने  globaladvertisers.in  पर सीधे प्रसारण के माध्यम से भी देख कर आनंद प्राप्त किया |

 जय माता दी |